1/03/2016

About Sai Baba life in Hindi

शिरडी के साईं बाबा (Shirdi ke Sai Baba)

Sai Baba Photos
Sai Baba

साईं बाबा(Sai Baba) का जन्म 28 सितंबर 1835 को पाथरी, महाराष्ट्र में बताया जाता हैं लेकिन इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं हैं| साईं बाबा(Sai Baba) एक महान संत थे| यधपि साईं बाबा(Sai Baba) एक  फकीर की वेशभूषा में रहते थे लेकिन वे तो तीनो लोको के ज्ञाता थे और पुरी दुनिया में सतगुरु के नाम से विख्यात हैं|  साईं नाथ को समाधि लिए अब सौ वर्ष होने वाले है परन्तु आज भी बाबा हम सबके बीच उपस्थित हैं| जब भी कोई भक्त साईं नाथ को दिल से याद करता हैं बाबा स्वयं उसकी सहायता करने के लिए विधमान हो जाते हैं| कई साईं भक्तो ने बाबा को अपने आस-पास महसूस किया हैं|

बाबा ने जो अखंड ज्योत अपने जीवन काल में द्वारकामाई, शिरडी में जलाई थी वह आज भी प्रजवलित है और उससे उत्पन राख, जिसे हम सब उदी कहते हैं, आज भी सभी भक्तो की रोगों और जीवन की अन्य व्याधियो में मदद कर रही हैं| बाबा ने कहा था कि जो कोई भी द्वारकामाई में कदम रखता हैं उसकी सब दुःख, सब पीड़ाओ का अंत हो जाता हैं|

साईं बाबा(Sai Baba) रोज पांच घरो से भिक्षा मांगते थे| साईं बाबा(Sai Baba) सभी धर्मो को एक समान मानते थे| उनके लिए सभी धर्मो के लोग एक समान थे| साईं बाबा(Sai Baba) ने 15 अक्टूबर 1918 को महासमाधी ले ली थी| सभी साईं भक्त साईं नाथ को अपना भगवान् मानते थे परन्तु बाबा ने कभी भी अपने को भगवान् नहीं कहा| बाबा तो अपने आप को उस मालिक(परमात्मा) का एक बंदा ही कहते थे| यधपि साईं नाथ के पास अपार शक्तिया थी परन्तु साईं बाबा(Sai Baba) ने इन शक्तियों का कभी भी घमंड नहीं किया| बाबा के द्वारा किये गए कार्य के अवलोकन से हम साईं नाथ की अदभुत शक्तियों से परिचित हो सकते हैं| साईं बाबा(Sai Baba) के ये कार्य निम्नलिखित हैं|    

Sai Baba Miracles:-

हैजा रोग का निदान:

एक बार शिरडी और शिरडी के आसपास के सभी गाँवो में हैजे का रोग फ़ैल गया| सभी गाँववासी इस रोग से पीड़ित होने लगे| तब बाबा ने अपने आप आटा चक्की से आटा पीस कर शिरडी की सीमा में फैला दिया था| ऐसा करने मात्र से ही शिरडी गाँव से हैजा रोग समूल नष्ट हो गया|

तूफ़ान को रोका

साईं बाबा(Sai Baba) जब पहली बार शिरडी में दिखाई दिए थे उस समय बाबा की आयु 15 वर्ष के बालक की थी| उस समय शिरडी में बहुत तेज तूफ़ान आया हुआ था और गाँव वाले अपनी जान बचाने को इधर से उधर भाग रहे थे| संपूर्ण मानव जीवन अस्त व्यस्त हो गया था तब ही कुछ गाँव वालो की नज़र पेड़ के नीचे खड़े हुए एक बालक पर पड़ी जो इस भयंकर तूफ़ान से बेखबर ध्यान में लीन था| अचानक वह बालक खड़ा हुआ और उसने आसमान की और दोनों हाथ कर ‘शांत’ कहा और देखते ही देखते कुछ ही समय के बाद तूफ़ान शांत हो गया| सभी गाँव वाले लोग वहां इकठ्ठा हो गए और ‘बालक साईं’ के चरणों में नतमस्तक हो गए|   

तात्या को क्षय(टीबी) रोग से  बचाया

शिरडी गाँव में बायजा माँ नाम की एक महिला रहती थी| साईं नाथ उन्हें अपनी माँ मानते थे और बायजा माँ के पुत्र तात्या को अपना छोटा भाई मानते थे| एक बार तात्या को क्षय रोग हो गया और इस रोग के होने से उनका जीवन संकट में था| तब साईं नाथ ने तात्या का रोग अपने ऊपर ले लिया और तात्या को क्षय रोग से छुटकारा दिला दिया|

पानी से दीपक जलाये

शिरडी गाँव में दीपावली का पर्व बहुत ही धूम धाम से मनाया जा रहा था| कुछ बच्चे उसी समय बाबा के पास द्वारका माई में पहुचे और बाबा से बोले कि बाबा आज दीपावली के दिन आप दिए नहीं जलाएंगे| तब बाबा ने कहा कि मेरे पास दिए जलने के लिए तेल ही नहीं हैं| यह सुनकर सभी बच्चे उदास हो गए और रोने लगे बाबा को दया आ गयी और साईं नाथ ने सभी दियो में पानी भरकर उन्हें ही प्रजव्लित कर द्वारकामाई को रोशन कर दिया|

खंड योग

बाबा की अपार शक्तियों में से एक शक्ति उनकी खंड योग करने की शक्ति थी| साईं नाथ बहुत बड़े योगी थे और वह अपने शरीर को बहुत से टुकडो में बांट कर दोबारा जोड़ देते थे| यह खंड योग क्रिया बाबा के कई करीबियों ने नजदीक से देखी हैं|

ऊँचे झूले पर शयन

बाबा ने द्वारकामाई में एक लकड़ी के तख्ते को बहुत ऊंचाई पर लटकाकर झूला बना लिया था| और उस पर चढ़ कर बाबा विश्राम किया करते थे| लेकिन सभी शिरडी वासी इस अचम्भे में थे कि साईं नाथ उस ऊँचे झूले तक पहुचते कैसे थे जबकि आस पास कोई भी सीढ़ी आदि नहीं थी|

उदी में चमत्कार

बाबा ने द्वारकामाई में धूनी प्रजव्लित की थी| इस धूनी से मिलने वाली उदी से बाबा ने बहुत से लोगो को नया जीवन दान दिया था| आज भी यह धूनी द्वारकामाई, शिरडी में प्रजव्लित है| लोग आज भी इस उदी से बाबा का आशीर्वाद निरंतर पा रहे हैं|

सांप भी फूल बन गए

शिरडी में ऐसे बहुत से लोग थे जो बाबा को पसंद नहीं करते थे| एक बार उनमे से किसी एक ने बाबा के प्राण लेने के लिए उपहार के डिब्बे में सांप रखकर भिजवा दिए| लेकिन जैसे ही बाबा ने डिब्बा अपने हाथ में लिए और सांप को हाथ में लिया वह एक फूलो की माला बन गयी|

हांडी में भोजन अपने हाथो से चलाकर पकाते थे

साईं नाथ में एक अद्भूत शक्ति यह थी की बाबा किसी भी जाति-पाति के भेदभाव से परे थे| उन्होंने तो सभी प्राणियों को एक ही द्रष्टि से देखा था| बाबा सभी लोगो को एक साथ बिठाकर भोजन करते थे| जब बाबा इस भोजन को बनाते थे तो अपने हाथो से ही पकते भोजन को चलाते थे| लेकिन ऐसा करने पर उनका हाथ नहीं जलता था|

जलती भट्टी से बच्चे को बचाया

एक बार शिरडी में एक लोहार जलती भट्टी में लोहे के पीटकर औजार बना रहा था| पास ही के एक पेड़ पर एक पालने में उसका बच्चा लेटा हुआ था|  अचानक उसका छोटा बच्चा पालने से गिरकर भट्टी में गिरने ही वाला था तो साईं नाथ ने द्वारकामाई में बैठे-बैठे ही अपने हाथ से उस बच्चे को भट्टी में गिरने नहीं दिया और अपना पूरा हाथ जला लिया|  

चाँद की खोई घोड़ी मिल गयी

चाँद बाबा एक मुसलमान युवक अपनी घोड़ी के लिए बहुत चिंतित था| वह सारे जंगल में चारो तरफ बिजली नामक उस घोड़ी को ढूँढ रहा था पर बहुत ढूँढने के बाद भी वह घोड़ी को ढूँढ नहीं पाया| और निराश होकर घर के लिए वापस जा रहा था कि अचानक उसकी नज़र पेड़ के नीचे बैठे एक फ़क़ीर पर पड़ी वह फ़क़ीर कोई और नहीं, साईं नाथ थे| उन्होंने चाँद से उसकी चिंता का कारण पुछा तो चाँद ने बाबा को अपनी घोड़ी खोने के बारे में बाबा को बताया| यह सुनकर बाबा ने दो तीन-बार बिजली-बिजली कहकर पुकारा और कुछ ही देर में बिजली घोड़ी वहां अपने आप आ गयी| यह चमत्कार देख चाँद स्तब्ध रह गया और बाबा के चरणों में गिर गया|  

नीम वृक्ष की पत्तिया मीठी

नीम वृक्ष अपनी कडवी पत्तियों के लिए जाना जाता है लेकिन द्वारकामाई, शिरडी में नीम वृक्ष, जिसके नीचे साईं नाथ बैठा करते थे की पत्तियों में कडवाहट नहीं हैं| यह पेड़ आज भी वहां मौजूद हैं और इस नीम के पेड़ की पत्तियां आज भी मीठी है|   

साईं सत्चरित्र

साईं सत्चरित्र नामक ग्रन्थ में बाबा की सम्पूर्ण जीवनी और लोगो पर उनके किये सभी उपकारो का वर्णन हैं| इस ग्रन्थ की रचना बाबा के भक्त हेमांनद पन्त ने की थी|

Shirdi sai baba temple 
Sai Baba
Sai Baba Temple Shirdi
     

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